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चुप रहना बेहतर
- Ramkrishna Sameriya
- Jan 25, 2021
- 1 min read
Updated: Jan 30, 2021
कभी जब नहीं बोलना है, चुप ही रहना चाहिए। लेकिन, तभी बोले बिना नहीं रहा जाता। बोल देते हैं और फिर बात बढ़ जाती है। चुप रहकर, खुद हर्ट फील करके बात बढ़ने से रुक सकती है तो, चुप रहना रहना ही बेहतर है।
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द-बूँद करके घड़ा भरता है। हजारों मील की यात्रा एक छोटे कदम से शुरू होती है।
बहुत सिंपल है. असरदार है. बस कुछ कहना है,... रूकना है. पूछना है. सही समय पर सही शब्दों का प्रयोग करना है, जैसे:
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